भगवान शिव व मां मुंडेश्वरी के अलावा, मंदिर में गणेश भगवान, सूर्य भगवान, विष्णु भगवान सहित हिंदू धर्म के कई अन्य देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मुंडेश्वरी मंदिर 108ई0 में बनाया गया था। तब से मंदिर में बिना विराम के पूजा अर्चना होती आ रही है, इस प्रकार यह दुनिया का सबसे पुराना कार्यात्मक मंदिर बन गया है।
वैसे तो हर शक्तिपीठ की अलग परंपरा, मान्यता व पहचान है, लेकिन मां मुंडेश्वरी के मंदिर में कुछ ऐसा होता है जिस जिसे सुनकर इंसानी मस्तिष्क विकल्प नहीं तालाश पाता है व उसकी उत्सुकता और बढ़ जाती है।
श्रद्धालुओं की मान्यताओं के अनुसार मंदिर में बकरे(खस्सी) के बलि देने की प्रक्रिया काफी अलग है, कहते हैं की मंदिर में बकरे(खस्सी) की बलि खांर(धारदार हथियार) से नहीं दी जाती बल्कि यहां बकरे को देवी के समक्ष लाया जाता है, जिस पर पुजारी मंत्रयुक्त चावल छिड़कते हैं, जिससे वह मूर्छित हो जाता है, फिर मूर्छा से बाहर आने के बाद बकरे(खस्सी) को बाहर छोड़ दिया जाता है।